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मैं इश्क लिखूं और उसे हो जाए काश मेरी शायरी में कोई ऐसे खो जाए
जिसने भी किया है कुछ बड़ा वो कभी किसी से नहीं डरा I
किसी से नफरत रखने में उतना मजा नहीं है, जितना उसे माफ कर भुला देने में है।
जब ज़िंदगी आपको पीछे धकेल दे, तो समझ जाना एक बड़ी छलांग लगाने का वक़्त आ गया है।
शायद ये चेहरा मेरा नहीं है लेकिन कुछ चेहरे देखकर मुझे मेरा चेहरा बदलने का मन करता है।
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
मेरी जिंदगी एक बंद किताब है, जिसे आज तक किसी ने खोला नहीं, जिसने खोला उसने पढा नही, जिसने पढा उसने समझा नही, और जो समझ सका वो मिला नहीं।
जैसे कभी जानते ही नहीं थे
धोखा देकर ऐसे चले गए,