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सुनो ! तुम मेरी वो आदत हो, जिसे मैं चाह कर भी नहीं छोड़ सकता !

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आज तो हम ख़ूब रुलायेंगे उन्हें, सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है।
क्यूंकि इस दुनिया की तो राह में रोड़ा अटकाने की आदत है।
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई, तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ नजर आती है !
वह जो सोचता है वही बन जाता है। (महात्मा गांधी)
कोई सबूत नहीं होता है मोहब्बत का सामने नाम लेने पर धड़कने बढ़ जाए तो समझो मोहब्बत बेइंतेहा है !
छुपाने लगा हूँ कुछ राज अपने आप से, जब से मोहब्बत हुई है हमें आप से !
आपकी आदत बदलने की इच्छा, आपके वही रहने की इच्छा से बड़ी होनी चाहिए I
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदत बदल सकते हैं
मेहनत अगर आदत बन जाए तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती है।
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!