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भाई और बेहन का प्यार अटूट बंधन है जिसे रेशम का बंधन मजबूत करता है।
स्वाभिमान मान्यता की एक अवस्था है कि एक व्यक्ति उतना ही महत्वपूर्ण और योग्य है जितना कि कोई अन्य इंसान।
हम किसी से प्रेम नहीं कर सकते, कोई हमें हमारे भाई के समान प्रेम नहीं कर सकता।
सच्चा प्रेम समझ से उत्पन्न होता है।
रिश्ता हम भाई बहन का, कभी खट्टा कभी मीठा, कभी रूठना कभी मनाना, कभी दोस्ती कभी झगड़ा, कभी रोना और कभी हसाना, ये रिश्ता है प्यार का, सबसे अलग सबसे अनोखा
परिवार कोई ज़रूरी चीज़ नहीं है। इसमें सब कुछ प्यार सम्मान सुरक्षा और अपनापन होना चाहिए।
भाइयों की गलतियों में प्यार छिपा होता है।
प्यार एक इच्छा है, चाह है कि आप किसी को अपना एक भाग बना लें। ये एक संभावना है कि दूसरे को ख़ुद में शामिल कर के आप जो हैं, उससे ज्यादा हो जायें।
परिवार का प्यार और दोस्तों की प्रशंसा धन और अधिकार से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।
इस दुनिया में हर चीज मिल जाएगी, लेकिन भाई वाला प्यार नहीं मिलेगा।