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हाँ’ या ‘हो सकता है’ कहना जब हमारा मतलब ‘नहीं’ होता है, हमारे शब्दों को चीप बना देता है, हमारे आत्म-सम्मान की भावना कम हो जाती है, और हमारी अखंडता से समझौता हो जाता है। -पाउलो कोइल्हो
स्वाभिमान मान्यता की एक अवस्था है कि एक व्यक्ति उतना ही महत्वपूर्ण और योग्य है जितना कि कोई अन्य इंसान।
दोस्ती मोहब्बत का फूल है संभाल कर रखना, टूटे ना दिल किसी का बस इतना ख्याल रखना!
खुद का सम्मान करना वही जानता है, जिसने खुद को कठिन परिस्थितियों में संभाला हो।
सभी की खुशियों का ख्याल रखते-रखते हम बड़े हो जाते हैं फिर एक दिन अचानक ही अपनी खुशी गायब हम पाते हैं।
परिपक्वता उन लोगों और स्थितियों से दूर चलना सीखना है जो आपके मन की शांति, आत्म-सम्मान, मूल्यों, नैतिकता और आत्म-मूल्य को खतरे में डालती हैं।
जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते
स्वयं का सम्मान ही सबसे बड़ा आत्मसंतोष है।
नारी के बलिदान को वही सम्मान मिलता है, जहाँ बहनों ने खुद से पहले भाई की खुशियों को रखा हो ।
आपको खुद की सम्मान करनी चाहिए, क्योंकि जब आप खुद को सम्मान करते हैं, तो आपको दूसरों की सम्मान चाहिए।