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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ

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यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा, जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा, ना हो मायूस ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी, इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा
रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
रुकावटें आती है सफलता की राहों में, ये कौन नहीं जानता फिर भी वह मंज़िल पा ही लेता है, जो हार नहीं मानता।
डट कर करना सामना तुम मुश्किलों का, एक दिन वक्त भी तुम्हारा गुलाम होगा
घायल तो यहां हर परिंदा है। मगर जो फिर से उड़ सका वहीं जिंदा है।
चार कदम चलकर ही थक जाता है और पंहुचना शीर्ष तक चाहता है, तुझे धूल में पैरों को मलना होगा,जो पानी है सफलता तो चलना होगा।
विफलता के बारे में चिंता मत करो,आपको बस एक बार ही सही होना हैं.
एक ही मंज़िल तक कई रास्ते जाते हैं, तू रास्ता बदलकर तो देख तू पहुंचेगा ऊंचाइयों तक, दोबारा चलकर तो देख।
मुश्किलों में कोई साथ न दे तो मायूस न होना इस जिंदगी में खुद से बढ़कर कोई हमराही नहीं।
खुद को व्यस्त नहीं व्यवस्थित कीजिए, सफलता का यह पहला मंत्र है!