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ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है।
केवल सुख और दुःख के जरिये ही कोई व्यक्ति खुद के और अपने नसीब के बारे में जान पाता है। वे सीखते है कि क्या करना है और क्या नहीं - जोहान वोल्फगांग वों गेटे
खुश रहा करो उनके लिए जो अपनी खुशी से ज्यादा आपको खुश देखना चाहते है।
कभी जिंदगी से हरो मत क्योंकि अगर ये खुशी नहीं देती, तो जरूर आपको तजुर्बा दे जाती है!
तुम्हारे बिना तुम्हारे भाई के अस्तित्व का कोई अंदाज़ा नहीं! आपकी खुशी के बिना, खुशी की गिनती नहीं हो सकती
तुम्हारे खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह तो बस तुम हो!
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकराया
गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सब्र तो रख, जब खुशियाँ ही न रुकी तो ग़म की क्या औकात है!
जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी, उस काम को करने में हैं, जिसे लोग कहते हैं. “तुम नहीं कर सकते
अपने प्यार, अपनी ख़ुशी और अपनी ख़ुशी को रोकें नहीं। आप जो देते हैं वह आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोकते हैं।