#Hindi Quote

तू लड़ती है-झगड़ती है, सुन बहना मेरी रक्षा भी तू ही करती है ये पीड़ाएं मुझे छूं न पाए, क्यों इस चिंता से तू इतना डरती है

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माँ की ममता भी हैं तुझमें, है तुझमें पिता सा अकड़पन भी दोस्ती भी अनमोल है तेरी, अनमोल है तेरा लड़कपन भी
हर रक्षा बंधन मैं अपने मन के भीतर तुम्हारी सुख, समृद्धि का संकल्प लेता हूँ । संकल्प
अपने अतीत से ये सीखना ज़रूरी है की ये न सोचना कीआज आपने जितनी मेहनत की है उससे आपको क्या मिलेगा बल्कि ये सोचिए की आज आपने जितनी मेहनत की है उससे आप आने वाले कल में क्या बन सकते हो
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
बोलो बहन कैसे कह दूँ कि मैं तुम्हारे बिना सभ्य हुआ, वास्तविकता तो यही है कि तुमसे ही सभ्यताओं का सृजन हुआ है ।
तू लड़ती है-झगड़ती है, सुन बहना मेरी रक्षा भी तू ही करती है ये पीड़ाएं मुझे छूं न पाए, क्यों इस चिंता से तू इतना डरती है
जो मैं जलते चिराग में पड़ा तेल हूँ, तो सच यह है कि बहना तुम उस चिराग में जलती बाती हो ।
चिंता चिता समान है।
सुन बहन आँखों की चमक कभी कम मत होने देना जो होता हो हो जाए, तू हंसती आँखों को मत रोने देना
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी , मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा