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मैं अकेला रह जाता मायूसी भर के, जो तू मेरे घर का चिराग ना बनती मैं फिर कभी ऐसा हसमुख ना होता, जो तू बहना मेरा मान ना बनती

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मैं अकेला रह जाता मायूसी भर के, जो तू मेरे घर का चिराग ना बनती मैं फिर कभी ऐसा हसमुख ना होता, जो तू बहना मेरा मान ना बनती
घर में जब कोई आपके साथ नहीं होता, भाई तब भी आपके साथ खड़ा होता हैं।
जो समस्याएं तुम्हें सताने लगे, कोई तुम पर उंगली उठाने लगे डरना नहीं-घबराना नहीं, बहन एक बार बढ़े क़दम को पीछे हटाना नहीं-मयंक विश्नोई
आशाओं की किरण ओझिल हो नहीं सकती नारी भी कभी यूँ ही अवला हो नहीं सकती मेरी बहन को देखा मैंने, जो वीरांगना की परिभाषा हैं उसके होने पर मैं निर्भय, वो मेरी विजय की आशा है
परिवार के साथ घर जाकर अच्छा खाना खाने और आराम करने से अच्छा और कुछ नहीं है।
तू लड़ती है-झगड़ती है, सुन बहना मेरी रक्षा भी तू ही करती है ये पीड़ाएं मुझे छूं न पाए, क्यों इस चिंता से तू इतना डरती है
तुम्हारे बिना तुम्हारे भाई के अस्तित्व का कोई अंदाज़ा नहीं! आपकी खुशी के बिना, खुशी की गिनती नहीं हो सकती
शर्म नहीं तू गर्व हैं बहना, मेरी कलम का लिखा तू हर्फ़ है बहना तेरी नीयत मेरी पहचान है बहना, तू मेरी इकलौती शान है बहना
बहना दूर होकर तुमसे, काल के कुचक्र में फंसकर मजबूर हूँ हर संकट का डटकर सामना करूंगा क्योंकि मैं तुम्हारा कोहिनूर हूँ-मयंक विश्नोई
घर की बाते जब , मोहल्ले में पहुंच जाएंगी तो जमे जमाए घर की नीव तो हिलेगी ही।