#Hindi Quote
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अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
तुझे खोकर भी है एक तसल्ली मुझे अब मेरे साथ और क्या बुरा होगा
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
अगर सुबहे आपकी उदास रहेंगी , तो शामे फिर किस आस में रहेंगी।
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया
मेरे ग़म का छोटा सा हिस्सा लेकर तो देखो , मरने की ख्वाहिश न करने लगे तो कहना
उदास लोगो की मुस्कुराहट सबसे खूबसूरत होती
वो किताबों में लिखा नहीं था , जो सबक़ ज़िन्दगी ने सिखाया मुझे !
जो लोग दर्द को समझते हैं वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते