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परिवार का तुम पर स्नेह बड़ा, मैं भी तुम पर गर्व करता हूँ बहन तुम्हें खुश रखने का ही मैं अपना धर्म समझता हूँ -- मयंक विश्नोई
आप अपना परिवार नहीं चुनते हैं। वे आपके लिए अनमोल तोहफा हैं, जैसे आप उनके लिए हैं।
माता पिता की आंख से दो बार ही आंसू आते हैं, एक लड़की घर छोड़े तब और दूसरा बेटा मुंह मोड़ ले तब.
कहने को तो ज़िंदगी में हमसे हज़ारों लोग मिल जाते हैं लेकिन हमारी हज़ारों गलतियों को माफ करने वाले मां बाप दुबारा नहीं मिलते।
घर में जब कोई आपके साथ नहीं होता, भाई तब भी आपके साथ खड़ा होता हैं।
रोटी तो हर कोई कमाता है लेकिन कुछ ही लोग रोटी परिवार के साथ बैठ कर खाते है
जीत जाए या हार जाए इंसान की ख्वाहिश होती है की अपने परिवार के पास जाय।
परिवार और दोस्त छिपे हुए ख़ज़ाने हैं, जो तकलीफ या परेशानी में सबसे पहले सामने आते हैं।
मैं अकेला रह जाता मायूसी भर के, जो तू मेरे घर का चिराग ना बनती मैं फिर कभी ऐसा हसमुख ना होता, जो तू बहना मेरा मान ना बनती
एक महिला परिवार की देखभाल कर सकती है। आकार प्रदान करने के लिए, लेकिन घर को मज़बूती बनाए रखने के लिए एक आदमी की आवश्यकता होती है।