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ज़रा सोच कर वज़न रखो, फिर खा लो।
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
पापा के लिए दो लाइन
कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
इसी खट्टे-मीठे रिश्ते को बयां करने वाली कुछ भाई बहन के लिए शायरियां हमने खास आपके लिए लिखी हैं।
कर्म का परम कर्तव्य अकर्म नहीं जाना।
लोगों के साम्राज्य में अपने साहस की राजधानी बसा लो।
आप इस लेख से भाई बहन के लिए शायरियां चुनकर उन्हें भेजें और रिश्ते में और नजदीकियां लेकर आएं।
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
अगर आपके सपने आपको नहीं डरा रहे हैं, तो वो पहले से पुरे होने लग चुके हैं।